अब सिर्फ एक एसएमएस से पता चल जाएगा कि जो दवा आपने मेडिकल स्टोर से खरीदी है वो असली है या नकली।
दरअसल एक फार्मा कंपनी ने अल्फा न्यूमेरिकल कोर्ट के जरिए नकली दवाओं की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए यह तरीका अपनाया है।
बच्चों के लिए एचआईवी दवा पाउडर रूप में!
दवाई के पीछे नौ अंकों का एक नंबर होगा जिसे 9901099010 पर एसएमएस कर दें, जिसके 10 सैकेंड बाद आपका पता चल जाएगा कि दवा असली है या नकली। दवा असली होने पर उसका बैच नंबर और दवा कंपनी का नाम उपभोक्ता को एसएमएस से मिलेगा। इसका मिलान उपभोक्ता, दवा कंपनी की स्ट्रिप पर छपे बैच नंबर से कर सकेगा। यदि उपभोक्ता खरीदी गई दवा के बैच नंबर, कंपनी और एसएमएस से प्राप्त होने वाले बैच नंबर, कंपनी में फर्क पाता है तो वो इसी मोबाइल नंबर पर दूसरी बार एसएमएस कर सकता है।
दूसरी बार एसएमएस आने पर उसकी जांच की जाएगी। संबंधित जांच अधिकारी उपभोक्ता के मोबाइल से मेडिकल स्टोर पर बिक्री के लिए रखी उसी कंपनी की दूसरी स्ट्रिप का कोड पूछकर उसकी सत्यता जानेगी। इस जांच में कोड गलत निकलने पर संबंधित जिले के ड्रग इंस्पेक्टर से शिकायत की जाएगी। हर दवा के लिए अलग कोड होगा ताकि फर्जी कंपनियां इसकी कॉपी न कर सकें अथवा नकली दवाएं न खपा सकें।
दरअसल एक फार्मा कंपनी ने अल्फा न्यूमेरिकल कोर्ट के जरिए नकली दवाओं की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए यह तरीका अपनाया है।
बच्चों के लिए एचआईवी दवा पाउडर रूप में!
दवाई के पीछे नौ अंकों का एक नंबर होगा जिसे 9901099010 पर एसएमएस कर दें, जिसके 10 सैकेंड बाद आपका पता चल जाएगा कि दवा असली है या नकली। दवा असली होने पर उसका बैच नंबर और दवा कंपनी का नाम उपभोक्ता को एसएमएस से मिलेगा। इसका मिलान उपभोक्ता, दवा कंपनी की स्ट्रिप पर छपे बैच नंबर से कर सकेगा। यदि उपभोक्ता खरीदी गई दवा के बैच नंबर, कंपनी और एसएमएस से प्राप्त होने वाले बैच नंबर, कंपनी में फर्क पाता है तो वो इसी मोबाइल नंबर पर दूसरी बार एसएमएस कर सकता है।
दूसरी बार एसएमएस आने पर उसकी जांच की जाएगी। संबंधित जांच अधिकारी उपभोक्ता के मोबाइल से मेडिकल स्टोर पर बिक्री के लिए रखी उसी कंपनी की दूसरी स्ट्रिप का कोड पूछकर उसकी सत्यता जानेगी। इस जांच में कोड गलत निकलने पर संबंधित जिले के ड्रग इंस्पेक्टर से शिकायत की जाएगी। हर दवा के लिए अलग कोड होगा ताकि फर्जी कंपनियां इसकी कॉपी न कर सकें अथवा नकली दवाएं न खपा सकें।
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