May 8, 2012

फेसबुक का भूत इस कदर चढ़ गया है कि.............

फेसबुक में सिमट गई जिंदगी

थ्रीजी टेक्नोलॉजी व हाई स्पीड ब्रॉडबैंड के इस युग में हर 

कोई ऑनलाइन रहना पसंद करता है। दफ्तर से लेकर 

कॉलेज कैंपस या फिर घर की चहारदीवारी, हाथों में 

      मोबाइल व लैपटॉप पकड़कर हर कोई अपने दोस्तों से चैट करता नजर आता है। 



फेसबुक पर हर समय ऑनलाइन रहने से कॉलेज व 

दफ्तर जाने वाले युवाओं की दिनचर्या व्यस्त हो गई है। 

दिन भर दफ्तर में रहने के बावजूद शाम होते ही वे घर 

पर भी फेसबुक चलाने लगते हैं। जिससे न केवल उनका    

परिवार परेशान रहता है, अपितु वे रोजमर्रा के जरूरी काम भी नहीं कर पाते। वहीं छोटी उम्र के 

बच्चे भी फेसबुक पर व्यस्त होने से अपनी पढ़ाई पर सही ध्यान नहीं दे पाते। 

जो वक्त उन्हें अपनी पढ़ाई में लगाना चाहिए, उसकी जगह वे फेसबुक पर लड़कियों से फ्लर्ट करते 

नजर आते हैं। बच्चों व युवाओं द्वारा फेसबुक पर ज्यादा देर तक समय बिताने से समाज में 

विकृति पैदा हो रही है, जिससे न केवल उनका स्वयं का नुकसान हो रहा है, अपितु वे अपने 


परिवारों से दूर होते जा रहे हैं। 

युवा वर्ग मानता है कि हर किसी को अपना दोस्त बनाने का फेसबुक एक बेहतर जरिया है। जहां 

हम अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। मोबाइल पर कम कीमत में नेट रिचार्ज कराने 

से फेसबुक पर लगातार ऑनलाइन रहते हैं। फेसबुक से हमें हर वक्त लेटेस्ट जानकारी मिलती रहती 

है, साथ ही हमें दूसरों से जुड़कर अपनी बातें शेयर करने का मौका भी निरंतर मिलता रहता है। 

वर्तमान में बदलते आईटी युग में थ्रीजी व हाईस्पीड मोबाइल टेक्नोलॉजी के आने से अब घर में ही 

पूरी दुनिया अपने इर्द-गिर्द दिखाई देती हैं। युवा मानते हैं कि किस फ्रेंड्स के कौन-से कमेंट कब आ 

जाएं, इसके लिए फेसबुक पर हर समय ऑनलाइन रहते हैं। बच्चे व युवा खासतौर से फेसबुक पर 

ऑनलाइन रहना पसंद करते हैं। लेकिन अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे 

अपने बच्चों को 

फेसबुक का सीमित उपयोग ही करने दें, ताकि वे इसका गलत उपयोग न कर 

सकें।

इस बदलते दौर में बच्चों व युवाओं पर तो फेसबुक का भूत इस कदर चढ़ गया है कि अब वे 

अपना हर दुख-दर्द व खुशी अपने फेसबुक फ्रेंड से शेयर कर रहे हैं। इससे न केवल उनकी पढ़ाई 

अपितु सामाजिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। जो बच्चे व युवा अभी तक सिर्फ पढ़ाई व 

अपने सहपाठियों को तवज्जो देते थे। वे अब फेसबुक पर ही दोस्ती करना पसंद कर रहे हैं।

ऐसे में माता-पिता को अपने बच्चों को फेसबुक के फायदे व नुकसान से अवगत कराना चाहिए, 

ताकि बच्चों के भविष्य निर्माण में कहीं कोई चूक न हो जाए।
happy family

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