May 6, 2012

कैसे करें कम्प्यूटर एडिक्ट की पहचान!



बहुत-से लोग अपना असली घर-संसार, दोस्तों को भूलकर 'वर्चुअल वर्ल्ड' में ही ज्यादा समय देने लगे हैं। ऐसे लोग ताजी हवा या धूप के लिए भी कम्प्यूटर-इंटरनेट के सहारे कोई प्राकृतिक चित्र या क्लिपिंग देखकर संतुष्ट हो जाते हैं। ये लोग जाने-अनजाने लोगों से घंटों तक चैटिंग करने, सोशल साइट्स पर अपने साथी बनाने, ब्लॉग लिखने आदि के जंजाल में अपने निजी व सामाजिक जीवन से निरंतर दूर होते जाते हैं।


अगर कम्प्यूटर के बिना आपका मन नहीं लगता, देर तक कम्प्यूटर से दूर रहने पर बेचैनी महसूस होने लगती है, उसके बिना जीवन में कुछ अधूरा-सा लगता है, जरूरत न होने पर भी बेवजह घंटों तक कम्प्यूटर से चिपके रहते हैं, उस पर काम करने के बहाने खोजते हैं; अपने घरवालों, दोस्तों और असल जिंदगी को भूलकर इंटरनेट के 'वर्चुअल' संसार में जीने लगे हैं तो संभल जाइए। आप 'कम्प्यूटर एडिक्शन' (कम्प्यूटर की लत) के शिकार हो चुके हैं।

कम्प्यूटर के सामने बैठकर अधिक आरामदायक अनुभव करना, मन का प्रसन्न होना और कम्प्यूटर पर काम करते हुए तनाव से राहत महसूस होना। 

इसके उलट, कम्प्यूटर से दूर रहकर मन में खालीपन, झुंझलाहट या उदासी का होना।

- अपना ज्यादातर समय कम्प्यूटर के साथ बिताना और कम्प्यूटर व इससे संबंधित चीजों को ही अपना ज्यादा से ज्यादा समय देने की कोशिश करना। 

ND
- कम्प्यूटर पर काम करने के बहाने ढूंढना; कम्प्यूटर से जुड़ी चीजों जैसे गेम, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, किताबें-पत्रिकाएं, इंटरनेट आदि पर दिल खोलकर पैसा बहाना। 

कम्प्यूटर में कई-कई ऑपरेटिंग सिस्टम व अन्य प्रोग्राम लोड करके रखना। 

समय-समय पर नए-नए सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करते रहना। फिर भले ही इन सब चीजों की कोई जरूरत ही न हो।

- परिवार वालों, दोस्तों और रिश्तेदारों से कटकर रहना या तवज्जो न देना। 

कम्प्यूटर के चक्कर में अन्य जरूरी काम छोड़ देना। यहां तक कि ठीक से खाने-पीने, नींद व आराम का भी ध्यान न रहना।

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